कुमारस्वामी बुधवार को लेंगे कर्नाटक में शपथ

 

कुमारस्वामी बुधवार को लेंगे कर्नाटक में शपथ

कर्नाटक में 55 घंटे के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा (75) ने शनिवार शाम शक्ति परीक्षण से पहले ही इस्तीफा दे दिया। अब कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार बनाएगा। कुमारस्वामी बुधवार को शपथ लेंगे। पहले सोमवार का दिन तय हुआ था। पर पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पुण्यतिथि के कारण इसे दो दिन आगे बढ़ाया गया। राज्यपाल ने कुमारस्वामी को भी बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन दिए हैं। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने येद्दि को दी 15 दिन की मोहलत घटाकर एक दिन कर दी थी। कोर्ट ने शनिवार सुबह फ्लोर टेस्ट के सीधे प्रसारण का भी आदेश दे दिया। इसके बाद 4 घंटे में घटनाक्रम तेजी से बदला। 101% जीत का दावा करने वाली भाजपा बैकफुट पर आ गई। कांग्रेस ने 4 टेप जारी कर भाजपा पर विधायक खरीदने के आरोप लगाए। कांग्रेस के 3 लापता विधायक भी लौट आए। डेढ़ बजे तक भाजपा को हार का अाभास हो गया। इसके बाद भावुक भाषण के साथ येदि के इस्तीफे की पटकथा तैयार की गई।

शपथ समारोह में जाएंगे राहुल-सोनिया

– कुमारस्वामी का शपथ ग्रहण बुधवार को होगा। उन्होंने कहा कि समारोह में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, सोनिया गांधी शामिल होंगी। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, चंद्रबाबू नायडू, के चंद्रशेखर राव और मायावती ने फोन कर बधाई दी। शपथ समारोह के लिए कई क्षेत्रीय दलों के नेताओं को न्योता भेजा गया है।

विपक्ष की किलेबंदी पर येदियुरप्पा ने कहा- कांग्रेस ने विधायकों को कैद कर रखा था

– येदियुरप्पा ने कहा- मैं राज्य का दौरा करूंगा और लोगों को बताऊंगा कि किन परिस्थितियों में मुझे मुख्यमंत्री बने रहने से रोेका गया। कांग्रेस-जेडीएस के नेताओं ने अपने विधायकों को कैद कर रखा और उन्हें अपने परिवारों से मिलने तक का मौका नहीं दिया था।
– उन्होंने अपने भाषण में मोदी और अमित शाह से वादा किया कि राज्य में लोकसभा की सभी 28 सीटें वे भाजपा को दिलवाएंगे और मैं फिर लौटकर आऊंगा।
– साथ ही ये भी कहा कि मैं राज्य की जनता को आश्वासन देता हूं, जब तक मैं हूं राज्य में हर जगह जाउंगा और लोगों से मिलूंगा। हम सब फिर से कोशिश करेंगे और फिर जीतकर आएंगे। चुनाव कब आएगा मालूम नहीं। 5 साल बाद आएगा या इसके पहले भी आ सकता है। मैं फिर लौट कर आऊंगा।

येदियुरप्पा के इस्तीफा देने की 4 वजह

1) कांग्रेस ने जोड़तोड़ का मौका नहीं दिया

गोवा, मणिपुर, मेघालय से सबक लेते हुए कांग्रेस पहली बार इतनी एक्टिव दिखाई दी कि उसने मंगलवार को नतीजे साफ होने से पहले ही जेडीएस को अपने पाले में कर लिया और एचडी कुमारस्वामी को सीएम पद का ऑफर दे दिया। उसने भाजपा को जोड़तोड़ का मौका ही नहीं दिया। राज्यपाल ने जब येदियुरप्पा को न्योता देकर बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन दिए तो कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई। नतीजा यह हुआ कि येदियुरप्पा को शपथ ग्रहण के 55 घंटे भीतर ही फ्लोर टेस्ट के लिए आना पड़ा।

2) कोई विधायक गैरहाजिर नहीं हुआ
शनिवार को फ्लोर टेस्ट से पहले कांग्रेस के चार और बाद में दो विधायकों के सदन में नहीं पहुंचने की खबरें थीं। लेकिन बाद में सभी ने शपथ ले ली। ऐसे में विपक्षी सदस्यों की गैरहाजिरी से संख्याबल को अपने पक्ष में कर लेने की भाजपा की उम्मीद खत्म हो गई।

3) 103 वोट से जीत नहीं सकती थी भाजपा
मौजूदा संख्या बल के मुताबिक, भाजपा बहुमत पाने की स्थिति में ही नहीं थी। विधानसभा में सदस्यों की संख्या 222 थी। एक प्रोटेम स्पीकर भाजपा से ही बना। ऐसे में संख्या 221 हो गई। कुमारस्वामी दो सीटों से चुने गए। इसलिए संख्या 220 हो गई। बहुमत के लिए जरूरी आंकड़ा 111 हो गया। भाजपा के 104 में से प्रोटेम स्पीकर का एक वोट और कम हो गया। उसके पास 103 ही विधायक बचे। वहीं, आखिर तक सदन में कांग्रेस (78) और जेडीएस+ (38-कुमार स्वामी = 37) की कुल संख्या 115 बनी रही। कांग्रेस ने दो निर्दलीय विधायकों को भी अपने साथ कर लिया था।

4) फ्लोर टेस्ट होता तो क्रॉस वोटिंग करने वाले उजागर हो जाते
सुप्रीम कोर्ट ने पहले सीक्रेट बैलेट वोटिंग पर रोक लगा दी। बाद में यह भी कहा कि फ्लोर टेस्ट के दौरान मत विभाजन हो और लाइव टेलीकास्ट हो। ऐसे में विधायकों के लिए क्रॉस वोटिंग करना मुश्किल हो गया। क्रॉस वोटिंग करने पर वे सीधे अपनी पार्टी की नजर में आ सकते थे और उनकी सदस्यता जा सकती थी। शायद यही वजह रही कि किसी विपक्षी विधायक ने भाजपा के पाले में जाने का जोखिम नहीं उठाया।

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