जताता मैं नही लेकिन ,,,,,,,===सरोज यादव””सरु”

 

जताता मैं नही लेकिन ,,,,,,,===सरोज यादव””सरु”

जताता मैं नही लेकिन बहुत परवाह होती है
हमेशा साथ होने की मुझे भी चाह होती है
सजा तुमसे ही है गुलशन सभी उपहार तुमसे हैं
हमारे घर में खुशियों से भरे त्योहार तुमसे हैं
तुम्हारे स्नेह की हर चीज में बरसात होती है
तुम्हारे होने से दिन की मेरे शुरुआत होती है
तुम्हे उपहार दूँ सुख का मुझे भी चाह होती है
हमेशा साथ होने की मुझे भी चाह होती है
समझता हूँ तुम्हारी अनकही बातों की गहराई
तड़प उठता तुम्हारे आंख में जो गंगा लहराई
मेरी संबल तुम्ही तो हो अगर संग्राम है जीवन
तुम्हारे साथ ही सुख दुख का दूजा नाम है जीवन
तुम्हे भी गर्व हो मुझपर ये मेरी चाह होती है
हमेशा साथ होने की मुझे भी चाह होती है
हमेशा साथ तुम रहना मुझे आदत तुम्हारी है
करूंगा मैं प्रिये पूरी कि जो चाहत तुम्हारी है
अधूरे दोनो होते हैं जब भी दूर होतें है
कभी हालात के हाथों से जब मजबूर होते हैं
हमारे साथ चलने से सरल हर राह होती है
हमेशा साथ होने की मुझे भी चाह होती है.
जताता मैं नही लेकिन बहुत परवाह होती है
हमेशा साथ होने की मुझे भी चाह होती है
……सरोज यादव””सरु””

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