तेरी मौजूदगी —Abha Anuranjita

 

तेरी मौजूदगी —Abha Anuranjita

तेरी मौजूदगी —

तेरी यादों के जंगल से गुजरती है  ,

हर रोज मुहब्बत मेरी ।

जिस्म ल जाता है मेरी वफ़ा का ,

फिर लौट आती है………….

हारी हुई ज़िन्दगी मुर्दानी खलाओं में ।

और तब शुरू होता है,

एक सिलसिला…………….

टिसते नसुरों का सरबसर ।

आदत -सी हो गई है ………….

जिसकी बेक़दर हमें ।
जिस रोज नहीं होता ऐसा ,

बेचैन हो उठता है दिल ,

क्योंकि तुम्हें…………….

इन्हीं अहसासों में कायम पाती हूँ ,

इसी शक्ल में महसूसती हूँ .

 

तेरी मौजूदगी …….।

………………..Abha Anuranjita

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