बेवफा से आशिकी अच्छी नहीं ==सुमन जैन ”सत्यगीता”

 

बेवफा से आशिकी अच्छी नहीं ==सुमन जैन ”सत्यगीता”

बेवफा से आशिकी अच्छी नहीं ।
जीते जी ये ख़ुदकुशी अच्छी नहीं ।।
याद रखना जिंदगी में ये सबब;
दिलजलों से दुश्मनी अच्छी नहीं ।
ठेस दिल पर जब लगी कहने लगे
: हर किसी से दोस्ती अच्छी नहीं
ग़मज़दा जब बेसबब होने लगे;
दिल कहे ये जिंदगी अच्छी नहीं ।
हर किसी को कर रहें सजदा सभी;
इस तरह की बन्दगी अच्छी नहीं ।
यार दिल से मुस्कुराना सीख लो;
बेवज़ह संजीदगी अच्छी नहीं ।
………………..सुमन जैन ”सत्यगीता”

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