आओ ख़ुद को नमन करें हम=माधुरी द्विवेदी “मधू”

 

आओ ख़ुद को नमन करें हम=माधुरी द्विवेदी “मधू”

आओ ख़ुद को नमन करें हम,
दुर्बलता का दमन करें हम !!

क्यूँ खुद को अबला कहती हो ?
बर्बरतापन क्यूँ सहती हो ?
क्या तुममें औकात नहीं है ?
पाँव नहीं है हाथ नहीं है ?
खून तुम्हारा पानी है क्या ?
प्रश्नों का, अध्ययन करें हम !!

आओ ख़ुद को नमन करें हम,
दुर्बलता का, दमन करें हम !!

नारी अपनों से हारी है,
उफ ये कैसी लाचारी है,
दाम्पत्य का दंश कहीं है,
राक्षस कुल का अंश कहीं है,
माना पीड़ा असहनीय है……
छोड़ो, क्यूँ कर रुदन करें हम !!

आओ ख़ुद को नमन करें हम,
दुर्बलता का दमन करें हम !!

तुम कोमल सुंदर,प्यारी हो,
कृति ईश्वर की तुम न्यारी हो,
जग धात्री हो जग माता हो,
धन यश विद्या बल प्रदाता हो,
दीपक तले अँधेरा क्यूँ है ?
ठहरो, थोड़ा मनन करें हम !!

आओ ख़ुद को नमन करें हम,
दुर्बलता का दमन करें हम !!

युग बदला है तुम भी बदलो,
कुछ छोड़ो कुछ संचित कर लो,
शर्म हया की पूँजी रखना,
किस्मत वाली कुंजी रखना,
निर्भरता ही कायरता है…..
खुद्दारी का, चयन करें हम !!

आओ ख़ुद को नमन करें हम,
दुर्बलता का दमन करें हम !!

तुम अपनी पहचान बनाओ,
मेहनत को भगवान बनाओ,
आगे ही आगे तुम बढ़ना,
मुश्किल राहों से क्या डरना,
प्रसव वेदना सहने वाली…….
नारी का, आँकलन करें हम !!

आओ ख़ुद को नमन करें हम,
दुर्बलता का दमन करें हम !!

माधुरी द्विवेदी “मधू” गोरखपुर,उत्तर प्रदेश “”

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