नाथ सदा रहते उर में=आशा अमित नशीने

 

नाथ सदा रहते उर में=आशा अमित नशीने

नाथ सदा रहते उर में शिव की महिमा जग में चहुँ ओर।
शंभु रमा कर भस्म गले पर नाग धरे नटराज अघोर।
दीन दयाल सदा जग में पुजते भजते नित साँझ व भोर।
औघड़ पान किए विषकंठ बहे सिर गंग जटा हर छोर।

मंदिर औ मन में शिव शंकर व्याप्त रहे कण कंकर कोर।
शक्ति बसे प्रभु के हृद में सहते न कभी हुत काज अघोर।
सावन में शिव पूज्य रहें अति भक्त करें नित जाप कठोर ।
थाम शिवाप्रिय हाथ कृपानिधि मोक्ष मिले जब हो तप जोर।

,,,,,,,,,,,,,,,,आशा अमित नशीने ,राजनांदगाँव

Share this story