कभी तो मुझे चाह =विनोद निराश
Jul 24, 2019, 06:25 IST
कभी तो मुझे चाह , मेरी सूरत पे मत जा,
देख मेरा प्यार , अपनी जरूरत पे मत जा।
रहो बनके मसीहा, सिर्फ मुहब्बत का मेरी ,
दुनिया की बनाई हुई, नफरत पे मत जा।
दुनिया-ए-इश्क़ में, जुदाई एक सबक है ,
मगर तू दुनिया की, मुहब्बत पे मत जा।
इश्क़ की रहगुजर है, बड़ी तबील यारों ,
इसलिए इश्क़ में, सहूलियत पे मत जा।
कभी उसके बारे मे भी, सोचा कर निराश,
हमेशा की तरहा, अपनी हसरत पे मत जा।
,,,,,,,,,,,,,,विनोद निराश, देहरादून