करीब 14 दिन बाद घाटी में 190 स्कूल-कॉलेज खुलें

 

करीब 14 दिन बाद घाटी में 190 स्कूल-कॉलेज खुलें

जम्मू, सूरज की पहली किरण हो या फिर ढलती शाम, कश्मीर में सुरक्षा कर्मी पूरी तरह से मुस्तैद होकर अपनी ड्यूटी को अंजाम दे रहे हैं। मकसद एक ही है कि कश्मीर में शांति बनी रहे, किसी भी बेकसूर का आतंकी खून न बहा पाएं और शरारती तत्व कश्मीर के माहौल को खराब न कर सकें। जम्मू-कश्मीर में हालात अब धीरे-धीरे सामान्य होने लगे हैं। श्रीनगर में आज से स्कूल खुल गए हैं। करीब 14 दिन बाद घाटी में स्कूल-कॉलेज खुलने जा रहे हैं, ऐसे में एक बार फिर सुरक्षाबलों के लिए शांत माहौल बनाने की चुनौती है। अनुच्छेद 370 कमजोर होने और केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद से ही कश्मीर में धारा 144 लागू थी।

जम्मू-कश्मीर में सामान्य हो रहे हैं हालात = श्रीनगर में स्कूल-कॉलेज खुल गए हैं, लेकिन अभी भी एक अजीब सा सन्नाटा पसरा है। बच्चे धीरे-धीरे स्कूल-कॉलेज पहुंच रहे हैं, हालांकि बच्चों की संख्या काफी कम है। स्कूल जाने वाले बच्चों को किसी तरह की परेशानी ना हो और किसी भी अप्रिय घटना से निपटा जा सके, इसके लिए सुरक्षाबल चप्पे-चप्पे पर तैनात हैं। श्रीनगर जिले में आज स्कूल खुल गए हैं, धीरे-धीरे बच्चों का पहुंचना भी शुरू हो रहा है। स्कूल के आस-पास भारी संख्या में सुरक्षाबल तैनात हैं। घाटी में करीब 14 दिन बाद स्कूल खुल रहे हैं, ऐसे में बच्चों में एक अलग-सा उत्साह है। प्रशासन पूरी तरह से सतर्क है ताकि किसी तरह की अप्रिय घटना ना हो। घाटी में कॉलेज में एग्जाम की सुविधा पर विचार किया जाएगा, साथ ही जितने दिन स्कूल बंद रहे उतने दिन के लिए एक्सट्रा क्लास चलाई जाएगी अब धीरे-धीरे पूरी सुविधा को आगे बढ़ाया जाएगा।

खुलेंगे घाटी के 190 स्कूल = जम्मू में तो बीते कुछ दिनों से धारा 144 में ढील दी गई थी, लेकिन कश्मीर में अब धीरे-धीरे हालात सामान्य हो रहे हैं। श्रीनगर के डिप्टी कमिश्नर शाहिद चौधरी के मुताबिक, सोमवार से घाटी में 190 स्कूल खुलें है। ऐसे में सबसे पहली और बड़ी चुनौती बच्चों की सुरक्षा की है। करीब 14 दिन बाद घाटी में स्कूल-कॉलेज खुलने जा रहे हैं, ऐसे में एक बार फिर सुरक्षाबलों के लिए शांत माहौल बनाने की चुनौती है। अनुच्छेद 370 कमजोर होने और केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद से ही कश्मीर में धारा 144 लागू थी।

एक दिन भी नहीं चला मोबाइल इंटरनेट, फिर हो गया बंद = जम्मू-कश्मीर में बारह दिन बंद रहने के बाद शनिवार को बहाल की गई मोबाइल इंटरनेट सेवा रविवार सुबह अचानक फिर बंद हो गई। नेट बंद होने से मोबाइल फोन सिर्फ कॉल सुनने और करने के ही काम आ रहे हैं। मोबाइल की मदद से लोग सोशल मीडिया और इंटरनेट का प्रयोग करने से वंचित हो गए हैं। अनुच्छेद 370 और 35ए को समाप्त करने के फैसले के मद्देनजर 4-5 अगस्त की रात को पूरे राज्य में मोबाइल इंटरनेट सेवा ठप कर दी गई थी। 12 दिन तक बंद रखा गया। इस दौरान लोग केवल वाईफाई की मदद से बीएसएनएल के ब्रॉडबैंड इंटरनेट का प्रयोग कर वाट्सएप, ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम जैसी सोशल मीडिया साइटें चला रहे थे। शनिवार को 12 दिन बाद मोबाइल इंटरनेट पर लगे प्रतिबंध को पांच जिलों से हटा कर मोबाईल इंटरनेट की टू जी सेवा को शुरू कर दिया गया था। टू जी स्पीड होने के चलते मोबाइल पर केवल टेक्स्ट ही सही तरीके से हो पा रहा था। फिर भी लोग राहत महसूस कर रहे थे। इसी बीच थ्री जी और फोर जी इंटरनेट सेवा के भी जल्द शुरू होने का इंतजार कर रहे लोगों को रविवार सुबह उस समय झटका लगा जब अचानक मोबाइल इंटरनेट ने काम करना बंद कर दिया। राज्य के सामान्य हो रहे हालातों के बीच जहां लोग कुछ दिनों में हाई स्पीड इंटरनेट सेवा की बहाली की उम्मीद जता रहे थे, वहीं अचानक इंटरनेट सेवा फिर बंद कर देने से लोग असमंजस में पड़ गए। किसी को भी इसके कारणों का पता नहीं चल सका। जिन लोगों के पास बीएसएनएल ब्रॉडबैंड लगे थे, वह वाईफाई की मदद से अपने फोन पर भी इंटरनेट का इस्तेमाल कर पाए।

शांति बनाए रखें लोग, अफवाहें न फैलाएं : एसएसपी = जिले में पूरी तरह से शांति है। किसी भी क्षेत्र में कोई भी अप्रिय घटना नहीं घटी है। कुछ लोग अफवाहें फैला कर हालात को खराब करने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसे लोगों की पहचान की जा रही है। जल्द उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह बातें एसएसपी राजौरी जुगल मन्हास ने जारी एक बयान में कही। मन्हास ने कहा कि जिले में कोई भी घटना नहीं घटी है स्थिति पूरी तरह से शांतिपूर्ण है। बाजार खुले हुए हैं। शनिवार को स्कूलों को भी खोल दिया गया है। बीएसएनएल की मोबाइल सेवा को बहाल भी किया गया है और अन्य कंपनियों की मोबाइल सेवा को भी जल्द ही बहाल कर दिया जाएगा, लेकिन कुछ लोग क्षेत्र में अफवाहें फैलाकर हालात को खराब करने का प्रयास कर रहे हैं। इन लोगों की पहचान की जा रही है और जल्द ही इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा लोग शांति कायम रखें और अफवाहों पर ध्यान न दें।

हर पल सतर्क हैं जवान, ताकि सुरक्षित रहे कश्मीर = केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर से जब अनुच्छेद 370 और 35ए को हटाने का फैसला किया था तो पूरे जम्मू कश्मीर में सुरक्षाबलों की अतिरिक्त कंपनियां तैनात कर दी थी। चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा कर्मी तैनात हैं। पूरे कश्मीर में जब लोग सो रहे होते हैं तो कश्मीर में सूनी पड़ी रात में सीआरपीएफ के जवानों के कदमों की आवाजें सुनाई देती हैं। वे हाथों में हथियार लिए पूरी तरह से सतर्क रहते हैं। रात को जवानों के लिए चुनौतियां अधिक होती हैं। डल झील के किनारे ड्यूटी देने वाले जवानों का कहना है कि चुनौती तो होती है, लेकिन एहतियात बरतने से ही हर घटना को रोका जा सकता है। अभी सूरज की पहली किरण ने जमीन पर अपने कदम रखे भी नहीं होते हैं कि सुरक्षाबलों की सुबह की तैनाती को पूरा कर लिया जाता है। इस दौरान जवान पूरी तरह से सतर्क रहते हैं।

कई चुनौतियां है = उनकी नजर इस पर होती है कि कोई भी आतंकी कहीं पर भी आइईडी न लगा दे। यही नहीं जिन जगहों पर पत्थरबाजी की घटनाएं होती हैं, वहां पर बैरीकेड लगाए गए हैं। इन क्षेत्रों में 24 घंटे सुरक्षाबलों की तैनाती होने के कारण पत्थरबाजी की घटनाओं पर भी अंकुश लगा हुआ है। मुहल्लों में होने वाली पत्थरबाजी की घटनाएं न के बराबर हो गई हैं। वहीं, एसएमएचएस अस्पताल के पास ड्यूटी दे रहे जवानों का कहना है कि उनके लिए कई चुनौतियां हैं। यह ऐसा क्षेत्र है, जहां पर मरीज अपना इलाज करवाने के लिए आते हैं। उनका काम है कि ऐसे क्षेत्रों में आने वालों को कोई भी नुकसान न पहुंचे। लेकिन कुछ शरारती तत्व इसे नहीं समझते। वे आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों से मिलकर उन्हें समझाने का प्रयास भी करते हैं। पूरे श्रीनगर शहर में जवान पूरी तरह मुस्तैद नजर आते हैं। मस्जिदों के पास भी जांच के लिए प्वाइंट बनाए गए हैं। गांदरबल से श्रीनगर आने वाले प्वाइंट पर रात को जवान टार्च की रोशनी से गाड़ियों की जांच करते नजर आते हैं। लंबी ड्यूटी देते जवानों में थकावट न हो, इसीलिए उनके वरिष्ठ उन्हें प्रोत्साहित करते रहते हैं। जवानों का कहना है कि उन्हें जमीन के अलावा आकाश की ओर भी देखना पड़ता है। पता नहीं होता कि कब कहां से कोई ग्रेनेड फेंक दे। यही नहीं हर कंपनी कमांडर को एक फोन दिया गया है, ताकि जवान इससे अपने घरवालों के साथ बातचीत कर सकें। जवानों को इसके लिए अधिकृत किया गया है कि वे यह नंबर अपने परिजनों को भी दें, ताकि इमरजेंसी पड़ने पर उनके साथ संपर्क किया जा सके। एक जवान का कहना है कि कई बार रात को जब परिजनों से बात होती है तो उन्हें यह एहसास होता है कि वे भी उनके पास ही हैं।

Share this story