अंक उठाय चली सुत को तब मां मुखमण्डल चूम रही है= संदीप कुमार विश्नोई

 

अंक उठाय चली सुत को तब मां मुखमण्डल चूम रही है= संदीप कुमार विश्नोई

 

मोहन जन्म भए मथुरा मथुरा नगरी अब झूम रही है,
अंक उठाय चली सुत को तब मां मुखमण्डल चूम रही है।
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सेन करे मनमोहन से मन ही मन लाड लडाय रही है,
नंद पधार रहे घर में मनमोहन को बतलाय रही है।
ढोल बजे नवरंग उड़े सब मंगल गान सुनाय रहे हैं ,
देव लियो अवतार धरा पर पुष्प सभी बरसाय रहे हैं।
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मोहन नाम जपे मथुरा मनमोहन नाम कि धूम रही है ,
अंक उठाय चली सुत को तब मां मुखमण्डल चूम रही है।
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मोहन केशव नाम धरे तब माखन चोर करे नित लीला ,
श्याम सखा उर नेह बसाकर माथ लगाकर चंदन पीला।
मोहन कूद गए यमुना यमुना तब मोहन श्याम हुई है ,
प्रेम पगी सखियां सब ही मनमोहन ये बदनाम हुई है।
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व्याकुल हो हरि मात चली ब्रज की गलियों घर घूम रही है ,
अंक उठाय चली सुत को तब मां मुखमण्डल चूम रही है।
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,,,,,,,,,,,,,संदीप कुमार विश्नोई
दुतारांवाली अबोहर पंजाब

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