प्रणय गीत –= Anuradha Amarnath Pandey

 

प्रणय गीत –= Anuradha Amarnath Pandey

प्रिय !मौन पलों के स्पंदन
नित विवश करे तुझसे बन्धन,
नित विवश करे तुझसे बन्धन….

वे नैनों के संवाद मुखर,
औ तंद्रिल-तंद्रिल सी पलकें ।
वे किसलय सम अम्लान अधर ,
औ लहरों सी फेनिल अलकें।
हृद को बाँधे से रखते है ,
वे तेरे मधुमय आलिंगन ।
नित विवश करें तुझसे बंधन ।

सुधियों के सागर उफनाकर ,
हृद तट को छू-छू जाते हैं ।
नित सपनों के मेले लगते ,
गत प्रणय पंथ दिखलाते हैं।
मिलती कपास- सी मृदुल छुवन…
मन हो जाता गंधिल चंदन ।
नित विवश करे तुझसे बंधन ।

पूजा की गरिमा से बढकर,
लगती शुचि तेरी आराधन ।
तन वृंदावन सा लगता है ,
जब आ जाती तू मन मधुवन ।
बस एक तुझे पा जाने से….
मन हो जाता कितना पावन ।
नित विवश करे तुझसे बंधन ।

,,,,,,,,,,,,,अनुराधा पाण्डेय

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