डेंगू की आड़ में जहरीली शराब कांड दफन करने की साजिश

 

डेंगू की आड़ में जहरीली शराब कांड दफन करने की साजिश

 

जहरीली शराब कांड पर 48 घंटे तक पर्दा डाले रखने वाली पुलिस ने घटना को दफन करने की भी कोशिश की। पुलिस ने गुरुवार सुबह से शुक्रवार दोपहर तक हुई चार मौतों को डेंगू का प्रकोप बताकर पिंड छुड़ाना चाहा। यही नहीं, इन चारों शवों का पोस्टमार्टम कराने की जहमत भी नहीं उठाई। जब तक पुलिस को ‘होश’ आता तब तक परिजन शवों का अंतिम संस्कार कर चुके थे। जब मामला बिगड़ा तो पुलिस को होश आया व बाकी दो शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। राजभवन, मुख्यमंत्री आवास, सचिवालय, जिलाधिकारी आवास व एसएसपी आवास के महज एक किमी के दायरे एवं विधायक आवास से महज 20 मीटर दूर पथरिया पीर इलाके में जहरीली शराब से मौत का कहर बरपा। लेकिन पुलिस शुक्रवार दोपहर तक इस मामले को डेंगू की आड़ में ‘दफन’ करने की फिराक में थी। जहरीली शराब से चार मौत की सूचना के बाद भी पुलिस ने शवों का पोस्टमार्टम कराना जरूरी नहीं समझा। पीड़ित परिवारों का कहना था कि गुरुवार रात ही तीन मौतों की सूचना विधायक गणोश जोशी और संबंधित पुलिस अधिकारियों को दे दी गई थी, लेकिन पुलिस ने कोई जरूरी कदम नहीं उठाए। आरोप हैं कि जांच करने के बजाय पुलिस पीड़ित परिवारों पर दबाव बनाकर दावा करती रही कि डॉक्टरों ने मौत की वजह डेंगू बताई है। मामले में पुलिस न केवल सवालों में है बल्कि उसकी भूमिका भी संदेह के घेरे में है। पथरिया पीर इलाके में जो कुछ हुआ, वह तंत्र की भूमिका को कठघरे खड़ा कर रहा है। हैरानी यह कि थाने की पुलिस ही नहीं बल्कि जनप्रतिनिधि भी मामले को दबाने की जुगत भिड़ाते रहे। शहर के बीचों-बीच हुए इस घटनाक्रम के 48 घंटे बाद भी सरकार पूरी तरह अनजान थी। शुक्रवार शाम विधायक के आवास पर हंगामे की सूचना पर सरकार को मामले की भनक लगी और शाम सात बजे अफसरों से रिपोर्ट मांगी गई। छह मौत की जानकारी के बाद सरकार हरकत में आई।

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