धरा को बचाले == अनिरुद्ध कुमार सिंह,

 

धरा को बचाले == अनिरुद्ध कुमार सिंह,

रावण कहे राम से,
ठहाका मार के।
तीर धनुष रक्खो ना,
जरा सम्भाल के।।
~~~~~~~~~~~~~~~
अपना बाहुबलीपन,
किसको दिखा रहें।
रावण तो दिल में पैठा,
पुतला जला रहे।।
~~~~~~~~~~~~~~~
है कोई बलसाली,
बुला ललकार के।
कितना भी बाण मार,
रावण न मरेगा।।
~~~~~~~~~~~~~~~
रावण कभी मरा है,
जो आज मरेगा।
खुद को नहीं सुधारा,
तो आप जरेगा।।
~~~~~~~~~~~~~~~
रावण परास्त होगा,
खुद को सुधार लो।
सभी बुराईयों को,
दिल से निकाल दो।।
~~~~~~~~~~~~~~~
रावण नहीं गंवार,
सुन बात मान ले।
जो कह रहा हूँ मान,
जग को उबार ले।।
~~~~~~~~~~~~~~~
जीना अगर तुम्हें हैं,
प्रेम लौ जला ले।
दुर्गुण की आहुति दे,
धरा को बचा ले।।

,,,,,,,,,,,,,अनिरुद्ध कुमार सिंह,
धनबाद, झारखंड।

Share this story