जब चमत्कार हुआ ( संस्मरण) = डा० भारती वर्मा बौड़ाई  

 

जब चमत्कार हुआ ( संस्मरण) =  डा० भारती वर्मा बौड़ाई  

जब चमत्कार हुआ ————ये बात शायद ९०-९१ की रही होगी । उस समय हम दोनों अरुणाचल प्रदेश के शिक्षा विभाग में अध्यापक-अध्यापिका के रूप में कार्यरत थे। मेरी बेटी भी दो साल की थी। गर्मी की छुट्टियों में हमने मुंबई ( उस समय बम्बई) और गोवा घूमने का कार्यक्रम बनाया था। तो हमने अपनी यात्रा शुरू कर दी। पर यात्रा के मध्य में ही गर्मी के कारण मेरी बेटी को उल्टी-दस्त लग गये। जो दवाई हम लेकर चले थे वो देते रहे पर कोई लाभ नहीं हो रहा था। मेरे पति ने गार्ड को कह कर रेलवे के डॉक्टर को भी फोन करवाया और हमने अपनी यात्रा को स्थगित करने का निर्णय कर लिया। सारा सामान लेकर अगले स्टेशन पर उतर कर वहाँ किसी डॉक्टर को दिखायेंगे… सोच लिया था। उस समय मन से एक ही पुकार निकल रही थी माँ दुर्गा! मुझ माँ पर कृपा करो, मेरी बेटी को बचा लो, उसकी रक्षा करो। तभी टी०टी० आता दिखाई दिया। उसके साथ एक महिला और एक पुरुष था। हमने सोचा शायद गार्ड के किये फोन से डॉक्टर आया है। उससे पूछा तो उसने कहा कि रेलवे का डॉक्टर तो उपलब्ध नहीं हुआ, पर आपके इस कूपे में जो ये दोनों आये हैं ये दोनों डॉक्टर हैं। अब आप बिल्कुल निश्चिंत रहें। महिला बाल विशेषज्ञ थी। उसने तुरंत अपना मेडिकल किट खोल कर दवाई दी, हर दो घंटे पर दवाई देती रही और हमें दिलासा देती रही। मुंबई पहुँचते-पहुँचते मेरी बेटी बिल्कुल ठीक हो गयी। वो मेरे लिए किसी चमत्कार से कम नहीं था। माँ एक माँ की बेटी को बचाने के लिए जैसे डॉक्टर का रूप लेकर आयी थी। मुंबई पहुँच कर हम उस डॉक्टर का धन्यवाद करने मिठाई लेकर गये थे। तब हम इतना डर गये थे कि घूमने में गोवा छोड़ दिया और मुंबई घूम कर ही वापस आ गये थे। आज भी उस समय हुआ वह चमत्कार हम भूले नहीं हैं और शायद कभी नहीं भूल पायेंगे। ———————————— डा० भारती वर्मा बौड़ाई

Share this story