सुहागनों_के_सतत_प्यार_का== Raju Upadhyay

 

सुहागनों_के_सतत_प्यार_का== Raju Upadhyay

निर्जल उवासों में तपती नारी का,
आज प्रेम समर्पण देखा हमने ।
सुहागनों के फिर सतत प्यार का ,
आज सात्विकी आचरण देखा हमने ।
सोलह श्रंगारों में सज कर-
प्रियतम की चंद्रदेव से मांगी मन्नत ,
सात भांवरों के वचन निभाते ,
आज तपस्विनी अवतरण देखा हमने ।

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#भांवर_का_सम्मान_.!

एक सुहागन के
खुशियों की ,
पहचान है
यह मेहदी ।
मधुमासी स्वप्निल
यादों का
एक अरमान है
यह मेंहदी ।
अपनेपन का
प्रेम समर्पण ,
होता है
इन श्रंगारों में ,
भाव अर्चना से
भांवर का ,
सम्मान है
यह मेंहदी ।
,,,,,,,,,,,,,,#राजू_उपाध्याय ( स्वरचित )

 

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