प्रणयन गीत….Anuradha Amarnath Pandey

 

प्रणयन गीत….Anuradha Amarnath Pandey

 

है सुबह की धूप सा गन्धिल कलेवर ज्योत्सने!
आज प्रणयन को विवश शुभदा लिए मेरे नयन।

खिल रही जलजात-सी तू, आज पावन झील में ।
लग रही ज्यों घोलती रति, गंध चंदन झील में।
आज तेरे प्रिय!परस को , है विकल हृद का मदन ।
आज प्रणयन को विवश, शुभदा लिए मेरे नयन…..

बंद मंदिर के त्रिधे ! तू , आज तो पट खोल दे ।
बज उठेगी घंटियाँ यदि, केशवी ! कुछ बोल दे ।
कुंकुमी अपने करों की, प्रीतिमय दे दे छुवन ।
आज प्रणयन को विवश, शुभदा लिए मेरे नयन…

सींच अपनी चाँदनी से, आज प्रणयाकाश दे ।
भग्न होते इस हृदय को, प्रिय ! धवल विन्यास दे ।
सद्य तो उर नत निलय में, कंचने ! कर ले अयन ।
आज प्रणयन को विवश शुभदा लिए मेरे नयन….

,,,,,,,,,,,,  Anuradha Amarnath Pandey

 

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