ग़ज़ल == Archana Lal
Dec 11, 2019, 06:14 IST
भले कैद में ये उजाले हुए हैं।
मगर हम भी उम्मीद पाले हुए हैं।
जरा सी हँसी को ही देखे जमाना
है रोदन को अपनी ही टाले हुए हैं।
भुलाना तो चाहें मगर याद आते
वो जख्मों पे पड़ते से झाले हुए हैं।
सवालों के घेरे में घिरते गये अब
कहें क्या कि किस्मत के काले हुए हैं।
न रुकती हँसी है न रुकते ये आँसू
समझना यही की दिवाले हुए हैं।
ग़मों को मिटाने कि कोशिश रही बस
हलक में ये मदिरा को डाले हुए हैं ।
चलो आज चलना है उसकी गली में
जहाँ सब मुहब्बत सम्भाले हुए हैं ।
…….अर्चना लाल,जमशेदपुर झारखंड