माँ मन में मुसकाये = अनिरुद्ध कुमार

 

माँ मन में मुसकाये = अनिरुद्ध कुमार

चुग-चुग दाना, ले गौरैया,
फुदक-फुदक इतराये।
बरगद ऊपर बैठे चूजे,
चांय-चांय सुर गाये।।

ममता के मन उठे हिलोरा,
मन व्याकुल अकुलाये।
फुर से उड़के बैठ डालपे,
ममता स्नेह लुटाये।।

मुख खोले, चूजों के मुखमें,
प्रेम सुधा टपकाये।
देख नजारा भाउक मनमें,
माँ की याद सताये।।

बचपन के वो याद पुराने,
मन को छू-छू जाये।
चिड़िया और चूजों का तड़पन,
मनको चूभ-चूभ जाये।।

आंखों मे बचपनके वो क्षण,
श्याम छवि बन छाये।
प्यार, दुलार, दयामई माँ का,
दिव्य रूप मुसकाये।।

नैना छलके नेह की धारा,
गालों को भी भाये।
आंसू नहीं ये प्यार के मोती,
माँ चरणों को जाये।।

नहीं चाहिए हीरा मोती,
माँ मुझ को मिलजाये।
धन्य-धन्य हे गौरैया,
माँ मन में मुसकाये।।
……….अनिरुद्ध कुमार सिंह,
धनबाद, झारखंड

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