या अल्लाह (लघु कथा) = Sushma Singh

 

या अल्लाह (लघु कथा) = Sushma Singh

कल दोपहर में प्राची के साथ बैठी थी।वो बोली “मौसी कुछ सुनाओ!”
हमने उसको बोला “तुम ही कुछ सुनाओ”
वो कुछ सुनाती तभी मेरा फोन बज उठा।
+917300451248 से फोन आ रहा था।
अननोन न0 था,फिर भी हमने ये सोचकर रिसीव कर लिया कि हो सकता है कोई ज़रूरतमंद हो।
उधर से मर्दाना आवाज आई,” पहचाना!”
हमने बोला “नही तो,पर छोटे लाल लिख कर आ रहा था।
दूसरी तरफ से हल्की सी हंसी के बाद आवाज आई”तुम्हारी गुड़िया दीदी का हसबैंड बोल रहा हूँ”,आप फोन पे चलाते हो या गूगल पे”हमने बोला कि चलाती तो हूँ क्यों?
“पर क्या?”
“दोनो ही चला लेती हूँ ज़रूरत के हिसाब से”
उधर से आवाज आई कि “मेरा एक बीस हजार का पेमेंट फंसा हुआ है मेरे में ट्रॉन्सफर नही हो पा रहा है आपके में करवा देता हूँ ,आप मेरे अकाउंट में ट्रॉन्सफर कर देना।”
हमने कहा कि “इसी न0 से चलाती हूँ,आप ट्रॉन्सफर करवा दीजिये।”
उधर से फिर आवाज आई कि “अपना गूगल पे ओपन करो ”
ये सुनते ही मेरी छठी इंद्री जाग्रत हो गयी कि पेमेंट भेजने के लिए ऑन करना पड़ता है, रिसीव करने में नही।
हमने उससे सवाल किया कि कौन सी गुड़िया दीदी के हसबैंड हैं आप।
उधर से आवाज आई ”
“पूजा दीदी का”
हमने बोला” कौन पूजा दीदी?”
वो बोला “आपके मामा जी की बेटी।”
हमने कहा “मेरे तो कोई मामा ही नही है ,हमारी अम्मा चार बहनें हैं केवल।”
उधर से आवाज आई “गलत न0 लग गया,या अल्लाह!
और फोन कट गया।
चूंकि पूरे वार्तालाप में फोन स्पीकर पर ही था तो बेटी भी सुन रही थी।
अब प्राची को हंसने दो,
क्या मौसी _अल्लाह के बन्दे की इतनी मेहनत आप ने एक झटके में बेकार कर दी।
हमने कहा कि शुरू में हम तुम्हारी गुड़िया बुआ का हसबैंड समझ रहे थे,पर जब उसने गूगल पे ऑन करने को कहा तो याद आ गया कि हमारी कम्पनी का कोई मेम्बर जब फोन पर बेटे से बताता है कि सर ये फ्रेम नही बन रहा है तो उसका पहला जबाब यही होता है,”स्क्रीन शेयर करो और सब मेरी आँखों के सामने होता है और वो घर बैठे फोन पर ही दिशानिर्देश देता रहता है और उधर वाला सुधार कर लेता है।
इसी तरह से फ्रॉड हो जाता मेरे गूगल पे को ऑन करते ही।
@ डॉ0सुषमा सिंह ,  कानपुर

Share this story