ग़ज़ल - रीता गुलाटी
Updated: Dec 15, 2024, 23:21 IST
नही सहेगे तेरी बात नफरतों वाली,
करो न बात कोई अब शिकायतों वाली।
वो हमनंवा है मेरा या कहो खुदा कोई,
करे नही है वो बातें ये हौसले वाली।
सुना रहे हो गजल क्यो उदासियों वाली,
गजल दिलो मे रहेगी मुहब्बतों वाली।
ये और बात है जिसको खुदा समझ बैठी,
लिखे वो शायरी क्यो आज दिल जलों वाली।
वो दर्द दे भी गया इश्क मे बड़ा मुझको,
नसीहतें वो भी देता,रिवायतों वाली।
- रीता गुलाटी ऋतंभरा,चण्डीगढ़