ग़ज़ल - रीता गुलाटी
Feb 18, 2025, 21:33 IST

रात कैसे ये कटे, आज तो तन्हाई की,
कौन सुनता है यहां, बात भी शैदाई की।
साथ मेरा भी नही देते बड़ा मुश्किल है,
बात तेरी भी लगे आज तो दुखदाई की।
खूबसूरत सा दिखे ख्याब उनकी आँखो मे,
याद आती है मुझे आज मसीहाई की।
आँख मे दर्द के सैलाब को लाने वाले,
अब खबर ले लो जरा आज उस हरजाई की।
बिन तुम्हारे कहो कैसे ये गुजारी रातें,
बात तो सच है मगर बात है रूसवाई की।
- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़