गीतिका - मधु शुक्ला.
Thu, 14 Jul 2022

एक पेटी की तरह जीवन हमारा,
कर्म, अनुभव का रहे जिसमें सितारा।
आपके अतिरिक्त सब अनजान हैं पर,
लालसा है प्राप्त हो जाये नजारा।
जो रहे अनमोल वह सन्दूक में हो,
भ्रांतियों का मत रखो इसमें अटारा।
बाँट कर ही धन सदा सार्थक हुआ है,
आप इसको कब तलक देंगे सहारा।
आपकी यह जिंदगी दो चार दिन की,
राह भटकों को दिखा करिए किनारा।
- मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश.