गीतिका - मधु शुक्ला
Fri, 20 Jan 2023

ईश की अनुपम धरोहर यह सकल संसार है,
हम सहेजें इस धरा को ईश से यदि प्यार है।
कीमती तन मन धरोहर ईश ने सौंपी हमें,
कर्म शुचि कर के हमें रखना सही आचार है।
क्रोध से कर मित्रता रिश्ते गँवाता आदमी,
है धरोहर सीख यह देती मधुर व्यवहार है।
देश से बढ़कर जगत में है धरोहर कौन सी,
देश भक्तों को बहुत ही प्रिय वतन शृंगार है।
प्यार अपनों का धरोहर है बहुत ही कीमती,
हर्ष, उन्नति, शांति का रहता यही आधार है।
-- मधु शुक्ला, सतना , मध्यप्रदेश