प्रवीण प्रभाती - कर्नल प्रवीण त्रिपाठी
Fri, 29 Apr 2022

एक अलौकिक प्रेम की, बंसी बनी गवाह।
अद्भुत धारा नेह की, निर्मल शांत प्रवाह।।
बंधन राधा कृष्ण का, था सबसे अनमोल।
जिसने जाना भेद यह, सुधरे उसके बोल।।
पावन मन यदि कर सकें, हर प्राणी से प्यार।
ऐसे मानुष को मिले, ईश्वर का उपहार।।
जैसे अपने कर्म हैं, वैसे बने समाज।
रीति-कुरीति करें सदा, मानवता पर राज।।
हम सब मिल कोशिश करें, त्यागें सर्व कुरीति।
निर्मित स्वस्थ्य समाज हो, प्रश्रय दें शुभ रीति।।
लेखा-जोखा लीजिये, और सुधारें कार्य।
खुद को अवसर दीजिये, बात यही अनिवार्य।।
- कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा/उन्नाव, उत्तर प्रदेश