जख्मो को सहलाते रहना - ऋतु गुलाटी
Jul 15, 2022, 23:10 IST

घर मेरे तुम आते रहना।
सब बाते बतलाते रहना।।
किस्से सारे कह देना तुम।
हाले दिन जतलाते रहना।।
खामोशी का पीछा छोड़ो।
बस अब तुम बहलाते रहना।।
खोया हूँ ख्याबो मे तेरे।
सपनो मे मुस्काते रहना।।
सुनकर मेरी मादक बातें।
ऋतु माफिक शरमाते रहना।
- ऋतु गुलाटी ऋतंभरा, चण्डीगढ़