छोड़ के चला है - अनिरुद्ध कुमार
Updated: Dec 31, 2024, 22:32 IST
प्यार ने हर किसी को छला है,
रात दिन ये सबों को दला है।
दिल कराहे मुहब्बत सताये,
दूर या पास जो हो जला है।
आजकल हर घड़ी का बहाना,
आदमीं बे-कदर हो चला है।
चोट देकर निगाहें झुकाना
ये अदा जिंदगी को खला है।
हाल किसको बताये सुनायें,
हाय अपने जिगर को मला है।
ले तबाही भटकता हमेशा,
बेवफाई सबों को दला है।
कौन झेले अदावत बता'अनि',
छोड़ के आशिकी को चला है।
- अनिरुद्ध कुमार सिंह
धनबाद, झारखंड