बेवफा - डॉ आशीष मिश्र

 
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मैंने माना जिसे अपना सारा जहां,
नाम उसने मेरा बेवफा रख दिया।

मेरे  महबूब  की  सादगी   देखिए,
ज़ख्म ऐसा दिया कि पता न चला।

हंस के सहता रहा उसके सारे सितम,
आज उसने  मुझे बेवफा  कह दिया।

खोया मैंने था सब कुछ जिसके लिए,
आज़ उसी शख्स ने बेवफा कह दिया।

जीने मरने का वादा किया मुझसे कल,
आज उसने मुझे अलविदा  कह दिया।

थी वफाएं मेरी कल तक जिसके लिए,
आज उसी सख्स ने बेवफा कह दिया।
- डॉ आशीष मिश्र उर्वर,
कादीपुर, सुल्तानपुर, (उ.प्र)
 

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