चुभे देह में शीत - सुनील गुप्ता
Jan 9, 2025, 22:56 IST
चुभे
देह में शीत,
कंपकंपाती चलें हवाएं ...,
और करे ये रात भयभीत !!1!!
अब
जाएं कहाँ रे,
जरा कोई ये बतला दे ...,
छोड़ी न जाए, ये रजाई हमसे !!2!!
चले
ये दाँत किटकिटाएं,
और देह ठंड में काँपे .....,
हलक से नीचे, पानी न जाए!!3!!
सवेरे
जब सूरज चमके,
और गर्म चाय की चुस्की लेते ....,
तब जाकर कुछ, जान में जान आए !!4!!
ठंड
में कांपते थरथराते,
मात्र पानी की कुछेक छिंटें मारते ...,
नहाने का क्रम, पूर्ण कर लेते !!5!!
- सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान