सपनों की लाश - सुनील गुप्ता
Dec 23, 2024, 23:12 IST
( 1 ) मत
चलो बोझ उठाए,
सपनों की लाश का, तुम यहाँ पे !
और न कभी, दुःख शोक मनाओ....,
बस चलते चलो देखते, नए-नए सपनों को !!
( 2 ) मत
हताश निराश बनो,
जब देखे, हरेक सपने पूरे न हों !
और करते रहें यहाँ पर सतत प्रयास....,
एकाग्रचित बनकर, लगे रहें कामों में अपने !!
( 3 ) मत
देखें, पीछे मुड़के
सदैव निगाहें, आगे बनाए रखें !
और चिंतित न हों, कभी यहाँ के हालातों पर...,
बस, स्वयं पे और प्रभु पर विश्वास बनाए चलें !!
- सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान