सपनों की लाश - सुनील गुप्ता

 
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( 1 ) मत 
चलो बोझ उठाए,
सपनों की लाश का, तुम यहाँ पे  !
और न कभी, दुःख शोक मनाओ....,
बस चलते चलो देखते, नए-नए सपनों को !!
( 2 ) मत 
हताश निराश बनो,
जब देखे, हरेक सपने पूरे न हों  !
और करते रहें यहाँ पर सतत प्रयास....,
एकाग्रचित बनकर, लगे रहें कामों में अपने  !!
( 3 ) मत 
देखें, पीछे मुड़के
सदैव निगाहें, आगे बनाए रखें   !
और चिंतित न हों, कभी यहाँ के हालातों पर...,
बस, स्वयं पे और प्रभु पर विश्वास बनाए चलें  !!
- सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान

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