चाय से गहरा नाता है - डा. अंजु लता

 
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भोर का आगाज, इसी बैड टी से-
अपना लगाव है, सचमुच इसी से,
सर्दी में अदरकी ,कड़क चाय-प्याली-
तन-मन में सबके, लाए खुशहाली.

कोई कहीं भी,जो दिल को भाए-
हौले से हंसकर ,उसे घर बुलाएं,
चाय की चुस्की 'औ’बातों का मेला-
भुला दे सभी गम,जगत का झमेला.

चाय की चुस्की और ताजा अखबार-
मनभावन कर देता सारा संसार,
थकन तन-बदन की, कोई मनमुटाव-
मिटा देता झटपट ही, इसका प्रभाव.

गांव में दादू लें चाय का लोटा-
बेले में पीते थे, देखे था पोता,
घनी मीठी- मीठी, उन्हें चाय भाती-
दूध रझाकर मां, पत्ती लगाती.

‘चाय-कथा’है बड़ी ही पुरानी-
नए युग ने भी कुछ करी छेड़खानी,
कहीं ग्रीन टी, तो कहीं नींबू फ्लैवर-
कहीं है मसाला,कहीं फार एवर.

चाय की महिमा तो है अपरम्पार-
पुरानी नई सदी का यह आधार,
लगता है चाय से,जन्मों  का नाता है-
सुनें इसका नाम तो मन हर्षाता है.
- डा. अंजु लता सिंह गहलौत, नई दिल्ली
 

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