मेरी कलम से - डा० क्षमा कौशिक

 
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शिव शिवामय हो गए धार जगत कल्याण,
मुदित सुमन बरसा रहा अंबर भर उल्लास,
चुहुं ओर मंगल ध्वनि शंखनाद घड़ि नाद 
ओम नमः शिवाय का हो रहा मंत्रोच्चार।

हे प्रभु ! हम शरण में तेरी हमें गह लीजिए,
पाप हर लो,हे प्रभु!बुद्धि विमल कर दीजिए,
सत्य हो जो मार्ग उस पर ही बढ़ें अपने कदम,
हर अवस्था में न भूले आपको कर दो करम।
- डा० क्षमा कौशिक, देहरादून , उत्तराखंड
 

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