मेरी कलम से - डा० क्षमा कौशिक

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कामना मन में बहुत,सब कहां किसको मिला है,
शुक्र है हम पर प्रभु ने करम तो इतना किया है,
धैर्य उनसे सीख लेंगे, कुछ नही जिनको मिला है।

मिले जो प्यार अपनों से वही पूंजी है जीवन की,
ये धन दौलत,झूठी शान बस तृष्णा है मानव की,
कमाई प्रेम की दौलत वही बस साथ  जायेगी,
माया तो छला करती है छल करके ही जायेगी।
- डा० क्षमा कौशिक, देहरादून , उत्तराखंड
 

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