गीतिका - मधु शुक्ला
Feb 25, 2025, 23:00 IST

वन बाग को सुसज्जित, करने वसंत आया,
ऋतुराज से मिलन का, उपहार साथ लाया।
अनुपम हसीन सपने, ऋतुराज ने सजाये,
हर व्यक्ति के हृदय ने, अनुराग रंग पाया।
नव पुष्प से विटप तन, फागुन सजा रहा है,
लगने लगी विटप की, दुल्हन समान काया।
शोभा प्रकृति हृदय को, अनुराग रंग देती,
अनुरक्तता बढ़ी तो, बिखरी अनंग माया।
ऋतु चार खास होतीं, ऋतुराज सम न कोई,
हर एक ने तभी तो, इसको गले लगाया।
-- मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश