ग़ज़ल ( हिंदी) - जसवीर सिंह हलधर
Dec 14, 2024, 22:20 IST
सही इंसान चुनने में रिवाजों का दख़ल होगा ।
वहीं पर रात बीतेगी जहां पर अन्न जल होगा ।
भरोसा है नहीं जब एक दिन या एक लम्हे का,
बड़ा मुश्किल यकीं करना कहाँ पर कौन कल होगा ।
चुनावों का निवाला बन गया है गांव का मौसम ,
तरीका ही गलत तो काम खेती क्या सफल होगा ।
सुनो आवाज़ अंदर की सही क्या है गलत क्या है ,
जहां कोई नहीं होगा वहां पर आत्म बल होगा ।
किसी से आश मत रखना कि आकर वो बचाएगा ,
हमारी हर मुसीबत का हमारे पास हल होगा ।
सफाई पाक से पहले जरूरी हिन्द की यारो ,
सपोलों की सफाई से मेरा भारत सबल होगा ।
नहीं सँभले अभी तो लाल होंगी शांति ये सड़कें ,
पड़ोसी ताक में बैठे हमारे साथ छल होगा ।
रखें सब हिन्द से नीचे दलीलें जाति मज़हब की ,
तभी भारत सफल होगा कहा 'हलधर' अटल होगा ।
- जसवीर सिंह हलधर, देहरादून