ग़ज़ल ( हिंदी) - जसवीर सिंह हलधर

 
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सही इंसान चुनने में रिवाजों का दख़ल होगा ।
वहीं पर रात बीतेगी जहां पर अन्न जल होगा ।

भरोसा है नहीं जब एक दिन या एक लम्हे का,
बड़ा मुश्किल यकीं करना कहाँ पर कौन कल होगा ।

चुनावों का निवाला बन गया है गांव का मौसम ,
तरीका ही गलत तो काम खेती क्या सफल होगा ।

सुनो आवाज़ अंदर की सही क्या है गलत क्या है ,
जहां कोई नहीं होगा वहां पर आत्म बल होगा ।

किसी से आश मत रखना कि आकर वो बचाएगा ,
हमारी हर मुसीबत का हमारे पास हल होगा ।

सफाई पाक से पहले जरूरी हिन्द की यारो ,
सपोलों की सफाई से मेरा भारत सबल  होगा ।

नहीं सँभले अभी तो लाल होंगी शांति ये सड़कें ,
पड़ोसी ताक में बैठे हमारे साथ छल होगा ।

रखें सब हिन्द से नीचे दलीलें जाति मज़हब की ,
तभी भारत सफल होगा कहा 'हलधर' अटल होगा ।
 - जसवीर सिंह हलधर, देहरादून  
 

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