ग़ज़ल (हिंदी) - जसवीर सिंह हलधर
Dec 22, 2024, 22:09 IST
आंखों से अश्कों का झरना छूट गया ।
लालच में बेटा मां का धन लूट गया ।
सोचा था यारी में जान लुटा दूंगा ,
लेकिन उससे आज भरोसा टूट गया ।
सट्टेबाजी छोड़ काम कर ले सीधे ,
परामर्श पर यार मुझे ही कूट गया ।
सरहद पर करतब देखे रण वीरों के ,
मेजर से आगे लड़ने रँगरूट गया ।
बाजारों की चाल बड़ी बेढंगी है ,
रेशम के भावों से ऊपर जूट गया ।
पीछे छूट गए पौराणिक पहनावे ,
धोती कुर्ता से आगे अब सूट गया ।
झूठे भाषण सुनकर भूख गरीबी पर ,
'हलधर' का नेता के सर पे बूट गया ।
- जसवीर सिंह हलधर , देहरादून