गजल - रीता गुलाटी
Aug 6, 2023, 22:17 IST

रात कटती, सहर नही होते,
वेवफा तुम अगर नही होते।
जिंदगी करती होशियारी है,
फिर भी अब क्यो सबर नही होते।
अब सहे दर्द आज हम कैसे?
हाँ, लगे है बसर नही होते।
हाय जब से नजर मिली उनसे,
लोग रखते खबर नही होते।
अब मिला है सुकूँन बाँहो में,
बात दिल पर असर नही होते।
- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चण्डीगढ़