ग़ज़ल - रीता गुलाटी
Oct 28, 2023, 22:50 IST

आज भी गाँव की वो गली याद है,
छोड़ आये जिसे हम भली याद है।
आग दिल की न बुझती बता यार क्यो?
चाह मे जो हुई खलबली याद है।
रोज ख्याबो मे आकर सताते बड़ा,
ये जवानी सुनो कब ढली याद है।
पास आकर सुनो आज दिल की लगी,
दिल मे खिलती हुई अब कली याद है।
.
यार औकात *ऋतु की नही कुछ कहे,
आग दिल मे जो सुलगे जली याद है।
किस कदर आज तड़पे तुम्हारे बिना,
दर्द सहते हमे वो गली याद है।
- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चण्डीगढ़