ग़ज़ल - रीता गुलाटी
Jan 8, 2025, 23:45 IST
अब नये साल मे गीत गाते रहो।
जिंदगी मे खुशी यार लाते रहो।
जिंदगी मे सदा यार हँसते रहो।
चार दिन की,नही तुम रूलाते रहो।
करके कुछ है दिखाना नये साल मे।
दूर तन्हाई को सब भगाते रहो।
यार वादा निभाना हमे आज तो
दर्द को यार दिल से मिटाते रहो।
यार सूनी लगे आज महफिल बड़ी।
गुनगुनाते रहो,मुस्कुराते रहो।
कर भलाई किसी अजनबी की भी तू
दीन दुखियों के भी काम आते रहो।
चंद साँसे मिली जो उधारी हैं ऋतु।
इसलिए तुम सदा मुस्कुराते रहो।
- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चण्डीगढ़