ग़ज़ल - रीता गुलाटी
Feb 22, 2025, 22:31 IST

कोई भी दूर तक जमता नही है,
मुझे मिल पाओगे लगता नही है।
वही मंजिल को पा लेता है अपनी,
जो तूफानों मे रूकता नही है।
रहोगे यार कैसे अब सँकू से,
बिना मेरे कोई जँचता नही है।
दिया जो प्यार तूने अब हमे तो,
किसी दूजे को वो दिखता नही है।
उसे क्या इल्म क्या जिंदगी मे,
जो तेरे प्यार मे पढ़ता नही है।
छुपी है कोई चिंगारी तो दिल मे,
धुआं बिन आग के उठता नही है।
रहोगे संग हरदम प्यार से हम,
तुम्हारे बिन ये दिल लगता नही है।
- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़