ग़ज़ल - रीता गुलाटी 

 
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रंग डूबे दिवाने चले आइए,
यार होली मनाने चले आइए।

सज गये आज टेसू घुले रंग भी,
यार होली मनाने चले आइए। 

आज खेले हैं कान्हा से होली बड़ी,
प्यार राधा लुटाने चले आइए।

अब मचेगा बड़ा शोर बस होली पर,
रंग सबको लगाने चले आइए।

हैं नशे मे बडे लोग नाचे फिरे,
प्यार अपना लुटाने चले आइए।

हो रही आज बेरंग सी जिंदगी,
भाँग सबको पिलाने चले आइए।
- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़
 

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