जाना उनके पास - अनिरुद्ध कुमार
Sep 30, 2023, 22:33 IST

जीने की चाहत मिटीं, जीवन से क्या आस,
कब जाना जानें नहीं, खुद पर ना विश्वास।
जीने को सब जी रहें, सब कुछ लागे खास,
हँसना रोना हर घड़ी, छन-छन लागे प्यास।
आना-जाना रात-दिन, बदले जगत लिबास,
रंग अलग है मौसमी, जब-जब बदले मास।
तृप्त हुआ कब आदमी, मृगतृष्णा गल फांस,
आकुलता व्याकुल करें, चाहत में आकाश।
लोभ लाभ में जी रहें, पल-पल खींचें स्वांस,
हार गई यह जिंदगी, जाना उनके पास।
- अनिरुद्ध कुमार सिंह, धनबाद, झारखंड