होली (छंद) -- जसवीर सिंह हलधर 

 
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ईंख आलू में उमंग,पीली सरसों के संग ,
गेहूं जौ दिखें मलंग, बालियों में दाना है ।

बागों में है अमराई , टेसू लेवे अंगड़ाई,
गेंदे पे जवानी आई,मौसम सुहाना है ।।

खूब करो गाल लाल ,उठेगा नहीं सवाल ,
जैविक रखो गुलाल , त्वचा को बचाना है ।

रोक नहीं इस बार , केजरी की हुई हार ,
पैग यार पिला चार,चले न बहाना है ।।
- जसवीर सिंह हलधर, देहरादून  
 

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