दीपक हूँ मैं - सुनील गुप्ता
Nov 19, 2023, 22:12 IST

दीपक हूँ मैं
एक छोटा सा
और छोटी-छोटी मेरी ख़्वाहिशें !
चलूँ प्रकाशित करता सदा राहें.....,
हैं बस मेरी यही यहां पे हसरतें !!1!!
दीया माटी का
बनता माटी से
और माटी में मिल खिल जाऊँ !
पर, मिटने से सदैव पहले......,
मैं अपना काम यहां कर जाऊँ !!2!!
करूँ जग रोशन
देकर नव ज्योति
और चलूँ खिलाए मन जीवन !
पूर्ण करते सभी की यहां पे आशाएं.......,
चलूँ महकाए जीवन का ये गुलशन !!3!!
दीप संग दीप
मिलें जले ज्योति
और करते प्रकाशित तन मन जीवन !.
एक सुदीप से प्रदीप तक की......,
चलें बनाएं यात्रा को हम सुखद संपन्न !!4!!
बन चिराग एक
चलूँ खुशियाँ लूटाते
और प्रेम आनंदधन बरसाए !
सदैव यहां पे खिलते मुस्कुराते......,
चलूँ मधु मकरंद की नदिया बहाए !!5!!
-सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान