मैं केवल इंसान बनूं - हरी राम यादव

 
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ऐसी शक्ति देना हे मातृभूमि ,
जिससे मैं केवल इंसान बनूं।
भाव इंसानियत का भर देना ,
जिससे न मानव अपमान बनूं।

करूं रोज मैं सब की सेवा,
पर न मैं उनका भगवान बनूं ।
हित में मैं उनके खड़ा रहूं पर,
मैं न उनकी स्तुति गान बनूं।

मैं बनूं निशक्तों के हाथ पैर,
और उनकी आंख कान बनूं।
मैं उनके रग रग में रचूं बसूं,
पर मैं न उनका अभिमान बनूं।

नव वर्ष के नवल प्रभात में,
मैं ज्ञान और विज्ञान बनूं।
बस मानव की करूं मैं सेवा,
मैं न हिन्दू न मुसलमान बनूं।

न मुझे चाह है बनने की देव,
न बनने की किन्नर, गंधर्व ।
बस मानव मुझे बना रखना,
जिससे मुझे हो स्वयं पर गर्व।
- हरी राम यादव, अयोध्या , उत्तर प्रदेश  
 

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