कविता - जसवीर सिंह हलधर

 
pic

भारत माता आहत है हिन्दू पर अत्याचारों से ।
हमें जूझना  होगा  पहले  घर  बैठे मक्कारों से ।।

कुछ लोगों की नींद उड़ी है चैन देश ने पाया है ।
आँखों में अंगारे लेकर  एक पुजारी आया है ।
दो के बदले सौ मारेंगे कसम आज हम खाते है ।
सौ के  बदले  लाख मिटाने  की सौगंध  उठाते है ।
पहले घर के भेदी मारो फिर निबटो गद्दारों से ।।
भारत माता आहत है हिन्दू पर अत्याचारों से ।।1

सत्य अहिंसा वाली लाठी काम नहीं आने वाली ।
गोली के बदले में गोली  गाली  के  बदले  गाली ।
उबल रहा है खून देश का गांव गली चौराहों पर ।
हमला दुगनी ताकत से हो अब आतंकी राहों पर ।
गंगा का पानी निर्मल हो मैल हटे दरबारों से ।।
भारत माता आहत है हिन्दू पर अत्याचारों से ।।2

न्यायालय के आदेशों पर मुल्लों ने संयम खोया ।
संभल का मंजर देखा तो फूट फूट कर मैं रोया  ।
जरा गौर से देखो यारो पत्थर  वाली  टोली  को ।
अग्नी ने घृत मिला रही जो नेताओं की बोली को ।
संविधान भी घायल रोता इनके तुच्छ विचारों से ।।
भारत माता आहत है हिन्दू पर अत्याचारों  से ।।3

मेरा तो हिन्दू मोमिन से केवल एक निवेदन है ।
कूड़ा मत फैलाओ घर में  इतना सा आवेदन है ।
सबका घर में मान रहेगा यह विस्वास दिलाता हूँ ।
कलम  सिपाही हूँ छोटा सा गीत हिन्द के गाता हूँ ।
रहो संभलकर 'हलधर' भाई पाक पले अय्यारों  से ।।
भारत माता घायल है हिन्दू पर अत्याचारों से ।।4
- जसवीर सिंह हलधर , देहरादून 
 

Share this story