कविता - जसवीर सिंह हलधर

 
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कौन भला है कौन बुरा है ।
कौन अक्ष है कौन धुरा है ।।
कौन पुरी है कौन पुरा है।
कौन छुरी है कौन छुरा है ।।

अन्ना के हैं मुन्ने  दोनों ।
नीलम हीरा पन्ने दोनों ।।
पांच साल से सोया सोया ।
अपनी धुन में खोया खोया ।।

देश प्रेम जग गया अचानक ।
लगा दिया आरोप भयानक ।।
पहले ने दिल्ली हथियाई ।
दूजा करता राम कथाई ।।

पहले ने कर दिया बहाना ।
दूजा राज्य सभा दीवाना ।।
संबंधों की हुई तबाही ।
देते हैं अख़बार गवाही ।।

अलग हुए यूँ दोनो राही ।
दोनो अन्ना नेक सिपाही ।।
मौका देख गवाही तोला ।
अन्ना एक सिपाही बोला ।।

गोली को कहता है गोला ।
ना तू भोला ना वो भोला ।।
दावा उसका कथ्य सही है ।
दूजा कहता मिथ्य कही है।।

पहले वाणी घुला बतासा ।
अब हाथों में लिए गँड़ासा ।।
किया नहीं उस समय खुलासा ।
राजनीति का नंग तमाशा ।।

पंथ भिन्न पर चाह वही है ।
कविवर की भी राह वही है ।।
सिंहासन दोनो की मंजिल ।
भारत माँ की आँखें बोझिल ।।
- जसवीर सिंह हलधर, देहरादून
 

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