महाकुंभ (त्रिवेणी के घाट सजे हैं) - जसवीर सिंह हलधर

त्रिवेणी के घाट सजे हैं , संतों का अवतरण हो रहा ।
सत्य सनातन के चिंतन पर, भारत में जागरण हो रहा ।।
हर हर गंगे जय शिव शंकर, ध्वनियां देती रोज सुनाई ।
दाग धुल रहे भारत मां के, छूट रही अंतस की काई ।
महाकुंभ के दृश्य अनोखे, अनुपम वातावरण हो रहा ।।
सत्य सनातन के चिंतन पर, भारत में जागरण हो रहा ।।1
सजे हुए हैं संत अखाड़े, छटा अनौखी मतवाली है ।
दीप जले शिविरों में पग पग , ऐसे लगता दीवाली है ।
विश्व गुरू बनने की खातिर, जन गण का आचरण हो रहा ।।
सत्य सनातन के चिंतन पर , भारत में जागरण हो रहा ।।2
घोर दासता की सदियों में, कुंभ सजे तब भी घाटों पर ।
बेशक खून बहा संतों का, चिन्ह दीखते हैं लाटों पर ।
छाया छोड़ गुलामी वाली, अब वैदिक संभरण हो रहा ।।
सत्य सनातन के चिंतन पर, भारत में जागरण हो रहा ।।3
जिन लोगों ने पाप किये थे, उनका घट अब भी है रीता ।
घाव समय ने सब भर डाले, आखिर सत्य सनातन जीता ।
धर्म ध्वजा के स्थापन का, यू पी में संचरण हो रहा ।।
सत्य सनातन के चिंतन पर , भारत में जागरण हो रहा ।।4
अक्षर अक्षर शिवशंकर है ,शब्द शब्द त्रिवेणी जल है ।
देता है इतिहास गवाही , धर्म सनातन ही निर्मल है ।
विश्व गुरू भारत ही होगा , दोबारा ये वरण हो रहा ।।
सत्य सनातन के चिंतन पर ,भारत में जागरण हो रहा ।।5
- जसवीर सिंह हलधर , देहरादून