मतलब के सब यार - प्रियंका 'सौरभ'

 
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फैला रिश्तों का बाज़ार।
मतलब के सब रिश्ते नाते,
मतलब के सब यार॥
मतलब का है लेना देना,
मतलब के सब बोल।
स्वार्थ के संग तुल गए,
सम्बध सब अनमोल।।
दिल के भाव सूख गए,
मुरझा गया है प्यार।
मतलब के सब यार॥

भूल बैठे त्याग-कर्त्तव्य,
सबको अधिकार लुभाए।
भौतिक सुख की लालसा,
पल-पल डसती जाए।।
अपनेपन का रंग लुटा,
हैं फीके-फीके त्यौहार।
मतलब के सब यार॥

रूठा-रूठा मुखिया से,
परिवारजनों का मन।
पत्नी सुख साथिन हुई,
पुत्र चाहे बस धन।।
फैल गया जीवन में,
अब धन का व्यापार।
मतलब के सब यार॥
प्रियंका सौरभ. उब्बा भवन, आर्यनगर, 
हिसार (हरियाणा)-127045 
(मो.) 7015375570 (वार्ता+वाट्स एप)
 

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