माँ - कालिका प्रसाद सेमवाल

 
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माँ से बढ़कर कौन है,
माँ जीवन   की आस,
इसकी छाया के  तले
मिले चैन  की   साँस।

देखी मूरत प्यार की 
देखा  माँ का  रूप,
करती है उपकार ये
है ममता   की धूप।

माँ के बिन जीवन नहीं
खाली है ये    संसार,
काया   हमको  दे  गई
किया हम पर उपकार।

तेरे    आँचल  के तले
ममता    पलती  चाह,
बस मुझको तू ज्ञान दे
चलती रहे जीवन राह।

माँ से बढ़कर नहीं है
इस जग में कोई दूज,
जब माँ  खुश होती है
होते हजार    उपकार।
- कालिका प्रसाद सेमवाल
मानस सदन अपर बाजार
रूद्रप्रयाग उत्तराखण्ड
 

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