माँ - सुनील गुप्ता

 
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 ( 1 ) मेरी 
    माँ की स्मृतियाँ,
    सदैव खिलाती, चलें मन बगिया !!

( 2 ) मेरी 
    माँ की लोरियाँ,
    जगाए चलें, तन-मन कलियाँ  !!

( 3 ) मेरी 
     माँ की कहानियाँ,
     याद कर, भर आएं अँखियाँ  !!

( 4 ) मेरी 
     माँ की खूबियाँ,
     याद कर रोयें, सभी सखियाँ !!

( 5 ) मेरी 
     माँ की बिंदिया,
     थी मुखड़े, शुभानन की खुशियाँ  !!

( 6 ) मेरी 
    माँ की बोलियाँ,
    सुन, झूम उठे मन बगिया !!

( 7 ) मेरी 
     माँ की चूड़ियाँ,
     रचाए चलें, प्रेम श्रृंगार की दुनिया !!

( 8 ) मेरी 
     माँ की खुशियाँ,
     थी मेरी सच्ची, दौलत दुनिया  !!
- सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान
 

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