नारी (दिग्पाल छंद) - मधु शुक्ला
Mar 10, 2025, 22:48 IST

कंटक सदैव जिसके पथ को बुहारते हैं,
संसार में उसी को नारी पुकारते हैं।
माँ बाप जन्म देकर जिसको कहें पराया,
उसके लिए खुदा ने कोई न घर बनाया।
सेवा सहायता से संबंध को बनाना ,
कोई नहीं जगत में वामा समान जाना।
सम्मान प्रेम महिला का हाथ थामते कम ,
फिर भी कठोर श्रम से की लक्ष्य प्राप्त हरदम।
दिन रात एक करके व्यक्तित्व वह बनाये ,
उसका नसीब फिर भी मुस्कान दे न पाये।
जब तक चलन जगत में दो रंग का रहेगा,
जग में समानता का तब तक न ध्वज हँसेगा।
- मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश